Friday, 24 October 2008
फेडोरा क्या है और मैथिली के लिए इसका क्या महत्व हो सकता है
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल", श्यामल सुमन, शोभा, संगीता पुरी, समीर यादव, नारदमुनि, काजल कुमार, और आनंद कृष्ण सहित आप सबों की बहुत शुक्रगुजार हूँ कि आपने मेरे पहले ब्लॉग को सराहा है. श्यामल सुमनजी ने फेडोरा के बारे में जानना चाहा है और जिज्ञासा जताई है कि अगर यह मैथिली में आ जाता है तो इसके क्या मायने हैं. वास्तव में फेडोरा एक ऑपरेटिंग सिस्टम है...आपके शायद विंडोज XP या विस्टा जैसा ही कुछ जो आप उपयोग में लाते हों. लेकिन दिक्कत यह है कि ये सिस्टम सिर्फ हिंदी, तमिल जैसी भाषाओं में आ पाते हैं क्योंकि यही भाषाएँ उन कंपनियों की वाणिज्यिक या व्यापारिक जद में आते हैं जो उन्हें सरकारी या दूसरे स्तरों पर फायदा दिलवा सकती हैं. लेकिन इससे इतर दुनिया है लिनक्स आधारित तंत्रों की जहाँ मिहनत तो आपको करनी होती है लेकिन समुदाय पर निर्भर ये आपको इस बात का एहसास नहीं होने देंगे कि आपकी भाषा छोटी है...आपकी भाषा का बाज़ार नहीं है. यहाँ हम अपनी भाषा में कंप्यूटर होने के सपने को साकार कर पाते हैं. हालांकि लिनक्स आधारित तंत्रों के कई रंग हैं लेकिन फेडोरा उनमें से कुछ सबसे बढ़िया तंत्रों में से एक है...खासकर भाषा आधारित समर्थन यहाँ काफी बढ़िया है. इसलिए मैंने फेडोरा को मैथिली में लाने की सोची है. ...तो इसलिए फेडोरा पर काम शुरू होने का मतलब है कि आगे कुछ समय में हम मैथिली में एक ऑपरेटिंग सिस्टम ला पाएँगे यानी हमारा कंप्यूटर मैथिली भाषा में हो सकता है...उसके मेन्यू, जुड़े अनुप्रयोग, संस्थापन के चरण सब कुछ मैथिली में होंगे. देखिए हमें कितनी सफलता मिल पाती है. हम आपको अपनी हर सफलता - असफलता से अवगत कराते रहेंगे.
Wednesday, 22 October 2008
फेडोरा मैथिली का अनुवाद काम शुरू
फेडोरा ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए मैथिली भाषा के लिए भी काम शुरू हो गया है और उसके मोटे तौर पर आवश्यक हिस्से किए जा चुके हैं जो कि फेडोरा के संस्थापन को मैथिली में दिखाने के लिए पर्याप्त हैं...शायद हम फेडोरा 10 में मैथिली संस्थापन को देख पाएँ. अनुवाद काम मैं कर रही हूँ और कभी कभार राजेश भी करते हैं जो इस प्रोजेक्ट के कोआर्डिनेटर भी हैं. आप इसके अनुवाद आँकड़ों को यहाँ देख सकते हैं.
Tuesday, 21 October 2008
लिटरेचर इंडिया हिंदी के रिलीज की ख़बर लिनक्स फ़ॉर यू पर
लिटरेचर इंडिया हिंदी का रिलीज पिछले महीने 20 सितंबर को हुआ था. उसकी स्कैन की हुई छवि यहाँ लगा रही हूँ. आप पढ़ें. आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया की आप हमारे कार्यक्रम में पधारे थे. मैं उन सबों की शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने अपने अपने ब्लॉग में इसे स्थान दिया था. मैं स्वप्निल व लिनक्स फॉर यू की भी आभारी हूँ कि उन्होंने हमारे कार्यक्रम को अपनी विशिष्ट पत्रिका में तरजीह दी.
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