Monday, 1 December 2008

ताज पर ही आह क्यों!

"मुंबई की बात अलग है. ये धमाके जरा लीक से हटके थे. इसबार जो मरे उसमें बहुतायत अभिजात्यों की है, 22-23 तो विदेशी नागरिक है. हमला किसी लोकल ट्रेन, किसी संकट मोचन मंदिर या मक्का मस्जिद पर नहीं था जहाँ आम आदमी जाते और मारे भी जाते हैं. यह हमला धनाढ्यों के ऐश्वर्य प्रदर्शन के महामंदिरों ताज और ओबेराय होटलों पर था. सर्वविदित है कि वहाँ जाने वाले आधुनिक भारत के राजकुमारों (ब्लू ब्लडेड एलीट) का खून कितना बेशकीमती है."

यह अंश है मुंबई धमाकों पर डा. चंद्रमोहन के लिखे लेख का. मुंबई बम धमाकों को, एक युवा लेखक चंद्रमोहन ने जो कि पेेशे से चिकित्सक हैं, अलग तरीके से लेने की कोशिश की है...कि क्यों इस धमाके की आवाज दूर तलक गई. और पढें ...मुम्बई ब्लास्ट: लीक से हटकर

Friday, 24 October 2008

फेडोरा क्या है और मैथिली के लिए इसका क्या महत्व हो सकता है

गिरीश बिल्लोरे "मुकुल", श्यामल सुमन, शोभा, संगीता पुरी, समीर यादव, नारदमुनि, काजल कुमार, और आनंद कृष्ण सहित आप सबों की बहुत शुक्रगुजार हूँ कि आपने मेरे पहले ब्लॉग को सराहा है. श्यामल सुमनजी ने फेडोरा के बारे में जानना चाहा है और जिज्ञासा जताई है कि अगर यह मैथिली में आ जाता है तो इसके क्या मायने हैं. वास्तव में फेडोरा एक ऑपरेटिंग सिस्टम है...आपके शायद विंडोज XP या विस्टा जैसा ही कुछ जो आप उपयोग में लाते हों. लेकिन दिक्कत यह है कि ये सिस्टम सिर्फ हिंदी, तमिल जैसी भाषाओं में आ पाते हैं क्योंकि यही भाषाएँ उन कंपनियों की वाणिज्यिक या व्यापारिक जद में आते हैं जो उन्हें सरकारी या दूसरे स्तरों पर फायदा दिलवा सकती हैं. लेकिन इससे इतर दुनिया है लिनक्स आधारित तंत्रों की जहाँ मिहनत तो आपको करनी होती है लेकिन समुदाय पर निर्भर ये आपको इस बात का एहसास नहीं होने देंगे कि आपकी भाषा छोटी है...आपकी भाषा का बाज़ार नहीं है. यहाँ हम अपनी भाषा में कंप्यूटर होने के सपने को साकार कर पाते हैं. हालांकि लिनक्स आधारित तंत्रों के कई रंग हैं लेकिन फेडोरा उनमें से कुछ सबसे बढ़िया तंत्रों में से एक है...खासकर भाषा आधारित समर्थन यहाँ काफी बढ़िया है. इसलिए मैंने फेडोरा को मैथिली में लाने की सोची है. ...तो इसलिए फेडोरा पर काम शुरू होने का मतलब है कि आगे कुछ समय में हम मैथिली में एक ऑपरेटिंग सिस्टम ला पाएँगे यानी हमारा कंप्यूटर मैथिली भाषा में हो सकता है...उसके मेन्यू, जुड़े अनुप्रयोग, संस्थापन के चरण सब कुछ मैथिली में होंगे. देखिए हमें कितनी सफलता मिल पाती है. हम आपको अपनी हर सफलता - असफलता से अवगत कराते रहेंगे.

Wednesday, 22 October 2008

फेडोरा मैथिली का अनुवाद काम शुरू

फेडोरा ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए मैथिली भाषा के लिए भी काम शुरू हो गया है और उसके मोटे तौर पर आवश्यक हिस्से किए जा चुके हैं जो कि फेडोरा के संस्थापन को मैथिली में दिखाने के लिए पर्याप्त हैं...शायद हम फेडोरा 10 में मैथिली संस्थापन को देख पाएँ. अनुवाद काम मैं कर रही हूँ और कभी कभार राजेश भी करते हैं जो इस प्रोजेक्ट के कोआर्डिनेटर भी हैं. आप इसके अनुवाद आँकड़ों को यहाँ देख सकते हैं.

Tuesday, 21 October 2008

लिटरेचर इंडिया हिंदी के रिलीज की ख़बर लिनक्स फ़ॉर यू पर


लिटरेचर इंडिया हिंदी का रिलीज पिछले महीने 20 सितंबर को हुआ था. उसकी स्कैन की हुई छवि यहाँ लगा रही हूँ. आप पढ़ें. आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया की आप हमारे कार्यक्रम में पधारे थे. मैं उन सबों की शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने अपने अपने ब्लॉग में इसे स्थान दिया था. मैं स्वप्निल व लिनक्स फॉर यू की भी आभारी हूँ कि उन्होंने हमारे कार्यक्रम को अपनी विशिष्ट पत्रिका में तरजीह दी.

Thursday, 28 August 2008

Bhasha Ghar - Me and Bhasha

Bhasha is not an easy thing to define! Sometimes I feel that languages are the archieves of culture. I feel very frustrated when I see very few languages are present at internet. Very few are ICT capable. Big companies and also govt org are only working for some languages like Hindi, Tamil or maximum the 22 langs present in 8th schedule of constitution of India. Some are dying. Just take the future of Angika, Magahi, Awadhi etc. So Bhasha Ghar can be a ghar where they can feel at 'home'. These are the random thought for starting blog with the name bhasha ghar.